कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई | संत कबीर के दोहे – Kabir Ke Dohe
कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई।
नैनूं रमैया रमि रहा दूजा कहाँ समाई ।
भावार्थ: कबीर कहते हैं कि जहां सिन्दूर की रेखा है – वहां काजल नहीं दिया जा सकता। जब नेत्रों में राम विराज रहे हैं तो वहां कोई अन्य कैसे निवास कर सकता है ?
kabir rekh sindoor ki kaajal diya n jaai.
nainoom ramaiya rami rahaa dooja kahaam samaai .
bhaavaarth: kabira kahate hain ki jahaam sindoor ki rekha hai – vahaam kaajal nahin diya ja sakataa. jab netrom mein raam viraaj rahe hain to vahaam koi any kaise nivaas kar sakata hai
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