कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई | संत कबीर के दोहे – Kabir Ke Dohe

कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई | संत कबीर के दोहे – Kabir Ke Dohe


कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई।
नैनूं रमैया रमि रहा  दूजा कहाँ समाई ।

भावार्थ: कबीर  कहते हैं कि जहां सिन्दूर की रेखा है – वहां काजल नहीं दिया जा सकता। जब नेत्रों में राम विराज रहे हैं तो वहां कोई अन्य कैसे निवास कर सकता है ?


kabir rekh sindoor ki kaajal diya n jaai.
nainoom ramaiya rami rahaa  dooja kahaam samaai .

bhaavaarth: kabira  kahate hain ki jahaam sindoor ki rekha hai – vahaam kaajal nahin diya ja sakataa. jab netrom mein raam viraaj rahe hain to vahaam koi any kaise nivaas kar sakata hai

200संत कबीर के दोहों का संग्रह अर्थ सहित –Click Here

Leave a Comment