सोरठा छंद की परिभाषा | सोरठा छंद क्या है – Sortha ka udaharan

सोरठा छंद की परिभाषा | सोरठा छंद के है – Sortha ka udaharan – Hindi Grammar के इस पाठ में आपका स्वागत है इस पोस्ट में हम सोरठा छंद की परिभाषा के बारे में जाने के इसके साथ साथ सोरठा छंद क्या है, Sortha ka udaharan, छंद के कितने प्रकार होते है और उसकी परिभाषा क्या है जानेगे. हिंदी साहित्य सबंधित हम पोस्ट बनाते रहते है क्यूकी हिंदी साहित्य हिंदी भाषा अपूर्व हिस्सा है इसके बिना हिंदी भाषा अधूरी है. तो इसी सबंधित आज हम जानेगे सोरठा छंद की परिभाषा, सोरठा छंद क्या है – Sortha ka udaharan, Sortha chhand ke prakar.

छंद की परिभाषा – छंद क्या है

छंद शब्द ‘ चद ‘ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है – खुश करना। हिंदी साहित्य के अनुसार अक्षर , अक्षरों की संख्या , मात्रा , गणना , यति , गति से संबंधित किसी विषय पर रचना को छंद कहा जाता है। अथार्त निश्चित चरण , लय , गति , वर्ण , मात्रा , यति , तुक , गण से नियोजित पद्य रचना को छंद कहते हैं।

छंद के अंग – Chhand Ke Ang

  • मात्रा
  • चरण और पाद
  • वर्ण और मात्रा
  • यति
  • गति
  • तुक
  • गण

छंद के प्रकार – chhand ke prakar

छन्द मुख्यतः 4 प्रकार के होते हैं

  • मात्रिक छंद
  • वर्णिक छंद
  • वर्णिक वृत छंद
  • मुक्त छंद

मात्रिक छंद की परिभाषा

मात्रा की गणना के आधार पर की गयी पद की रचना को मात्रिक छंद कहते हैं। अथार्त जिन छंदों की रचना मात्राओं की गणना के आधार पर की जाती है उन्हें मात्रिक छंद कहते हैं। जिनमें मात्राओं की संख्या , लघु -गुरु , यति -गति के आधार पर पद रचना की जाती है उसे मात्रिक छंद कहते हैं।

जैसे-

  • “बंदऊं गुर्रू पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।।
  • अमिअ मुरियम चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू।।”

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वर्णिक छंद की परिभाषा

जिन छंदों की रचना को वर्णों की गणना और क्रम के आधार पर किया जाता है उन्हें वर्णिक छंद कहते हैं।

वृतों की तरह इनमे गुरु और लघु का कर्म निश्चित नहीं होता है बस वर्ण संख्या निश्चित होती है। ये वर्णों की गणना पर आधारित होते हैं।जिनमे वर्णों की संख्या, क्रम, गणविधान, लघु-गुरु के आधार पर रचना होती है।जैसे-

दुर्मिल सवैया।

  •  प्रिय पति वह मेरा , प्राण प्यारा कहाँ है।
  • दुःख-जलधि निमग्ना , का सहारा कहाँ है।
  • अब तक जिसको मैं , देख के जी सकी हूँ।
  • वह ह्रदय हमारा , नेत्र तारा कहाँ है।

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वर्णिक वृत छंद की परिभाषा

इसमें वर्णों की गणना होती है। इसमें चार चरण होते हैं और प्रत्येक चरण में आने वाले लघु -गुरु का क्रम सुनिश्चित होता है। इसे सम छंद भी कहते हैं।

वृत्त उस समछन्द को कहते है, जिसमें चार समान चरण होते है, और प्रत्येक चरण में आनेवाले वर्णों का लघु-गुरु-क्रम सुनिश्र्चित रहता है। गणों में वर्णों का बँधा होना प्रमुख लक्षण होने के कारण इसे वार्णिक वृत्त, गणबद्ध या गणात्मक छन्द भी कहते हैं।

जैसे– मत्तगयन्द सवैया।

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मुक्त छंद की परिभाषा

मुक्त छंद को आधुनिक युग की देन माना जाता है। जिन छंदों में वर्णों और मात्राओं का बंधन नहीं होता उन्हें मुक्तक छंद कहते हैं अथार्त हिंदी में स्वतंत्र रूप से आजकल लिखे जाने वाले छंद मुक्त छंद होते हैं। चरणों की अनियमित , असमान , स्वछन्द गति और भाव के अनुकूल यति विधान ही मुक्त छंद की विशेषता है। इसे रबर या केंचुआ छंद भी कहते हैं। इनमे न वर्णों की और न ही मात्राओं की गिनती होती है।

जैसे-

  • “वह आता
  • दो टूक कलेजे के करता पछताता
  • पथ पर आता।
  • पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक ,
  • चल रहा लकुटिया टेक ,
  • मुट्ठी भर दाने को भूख मिटाने को
  • मुँह फटी पुरानी झोली का फैलता
  • दो टूक कलेजे के कर्ता पछताता पथ पर आता। ”

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तो दोस्तों यहाँ ओअर हम हमारी इस सोरठा छंद की परिभाषा, सोरठा छंद क्या है – Sortha ka udaharan पोस्ट कों समाप्त करते है. आशा करते है की Sortha ka udaharan, Sortha chhand ke prakar के बारे अधिकतम जानकारी आप तक पूछा पाए.

और आपको Hindi Grammar सबंधित और भी किसी प्रकार की जानकारी चाहिए तो आप हमारी हिंदी व्याकरण की पोस्ट कों जरुर पढ़ सकते है. वह हमने आपके साथ व्याकरण सबंधित सभी जानकारी आपके साथ शेयर की है.

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