विशेषण की परिभाषा – विशेषण के भेद, उदाहरण

विशेषण की परिभाषा – विशेषण के भेद, उदाहरण: नमस्कार दोस्तों हिंदी ग्रामर के एक और नए पाठ में आपका स्वागत है इस पाठ में हम आपको विशेषण की परिभाषा, विशेषण के भेद बताएंगे और visheshan kise kahate hain बारे में बताएंगे अगर आपको हिंदी ग्रामर के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो आप हम हमारे अधिकतम पोस्ट पढ़ सकते हैं हमने हिंदी ग्रामर पर बहुत ही पोस्ट बनाई है.

विशेषण की परिभाषा

“विशेषण” का शाब्दिक अर्थ है – विशेषता उत्पन्न करने वाला या विशेषक। जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उसे विशेषण कहते हैं। अथार्त जो शब्द गुण, दोष , भाव , संख्या , परिणाम आदि से संबंधित विशेषता का बोध कराते हैं, उसे विशेषण कहते हैं। विशेषण को सार्थक शब्दों के आठ भेदों में से एक माना जाता है। यह एक विकारी शब्द होता है। जो शब्द विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं। जब विशेषण रहित संज्ञा में जिस वस्तु का बोध होता है विशेषण लगने के बाद उसका अर्थ सिमित हो जाता है।

जैसे: बड़ा , काला , लम्बा , दयालु , भारी , सुंदर , कायर , टेढ़ा – मेढ़ा , एक , दो , वीर पुरुष , गोरा , अच्छा , बुरा , मीठा , खट्टा आदि।

दूसरे शब्दों में – विशेषण वे शब्द होते हैं, जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। ये शब्द वाक्य में संज्ञा के साथ लगकर संज्ञा की विशेषता बताते हैं। विशेषण विकारी शब्द होते हैं एवं इन्हें सार्थक शब्दों के आठ भेड़ों में से एक माना जाता है।

विशेषण लगने के बाद संज्ञा का अर्थ सिमित हो जाता है। इसका अर्थ यह है कि विशेषण रहित संज्ञा से जिस वस्तु का बोध होता है, विशेषण लगने पर उसका अर्थ सिमित हो जाता है। जैसे- ‘घोड़ा’, संज्ञा से घोड़ा-जाति के सभी प्राणियों का बोध होता है, पर ‘काला घोड़ा’ कहने से केवल काले  घोड़े का बोध होता है, सभी तरह के घोड़ों का नहीं। यहाँ ‘काला’ विशेषण से ‘घोड़ा’ संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित (सिमित) हो गयी है।

विशेषण के उदाहरण

राधा बहुत सुन्दर लड़की है।

जैसा कि आप ऊपर उदाहरण में देख सकते हैं राधा एक लड़की का नाम है। राधा नाम एक संज्ञा है। सुन्दर शब्द एक विशेषण है जो संज्ञा शब्द की विशेषता बता रहा है।

चूंकि सुन्दर शब्द संज्ञा की विशेषता बता रहा है इसलिए यह शब्द विशेषण कहलायेगा। जिस शब्द की विशेषण विशेषता बताता है उस शब्द को विशेष्य कहा जाता है।

विशेषण के भेद

विशेषण के मुख्यतः आठ भेद होते हैं।

  1. गुणवाचक विशेषण
  2. संख्यावाचक विशेषण
  3. परिमाणवाचक विशेषण
  4. सार्वनामिक विशेषण
  5. व्यक्तिवाचक विशेषण
  6. प्रश्नवाचक विशेषण
  7. तुलनाबोधक विशेषण
  8. सम्बन्धवाचक विशेषण

1.गुणवाचक विशेषण की परिभाषा

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण धर्म, स्वाभाव आदि का बोध कराते हैं उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं ।

जैसे: अच्छा, पुराना, झूठा, सफ़ेद।

दूसरे शब्द – वे विशेषण शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्द के गुण-दोष, रूप-रंग, आकार, स्वाद, दशा, अवस्था, स्थान आदि की विशेषता प्रकट करते हैं, गुणवाचक विशेषण कहलाते है।

उदाहरण-

  • गुण बोधक: अच्छा, बुरा, गोरा, वीर, कायर, क्रोधी ।
  • रंग बोधक: सफेद, हरा, नीला, पीला, लाल।
  • आकार बोधक: मोटा, पतला, गोल, लम्बा, चौड़ा।
  • काल बोधक: नया, पुराना।
  • गुणवाचक विशेषण के उदाहरण
  • गुण- भला, उचित, अच्छा, ईमानदार, सरल, विनम्र, बुद्धिमानी, सच्चा, दानी, न्यायी, सीधा, शान्त आदि।
  • दोष- बुरा, अनुचित, झूठा, क्रूर, कठोर, घमंडी, बेईमान, पापी, दुष्ट आदि।
  • रूप/रंग- लाल, पीला, नीला, हरा, सफेद, काला, बैंगनी, सुनहरा, चमकीला, धुँधला, फीका।
  • आकार- गोल, चौकोर, सुडौल, समान, पीला, सुन्दर, नुकीला, लम्बा, चौड़ा, सीधा, तिरछा, बड़ा, छोटा, चपटा, ऊँचा, मोटा, पतला आदि।
  • स्पर्श- मुलायम, सख्त, ठंड, गर्म, कोमल, ख़ुरदरा आदि।
  • स्वभाव- चिड़चिड़ा, मिलनसार आदि।
  • गंध- सुगंधित, दुर्गंधपूर्ण आदि।
  • व्यवसाय- व्यापारी, औद्योगिक, शौक्षणिक, प्राविधिक आदि।
  • पदार्थ- सूती, रेशमी, ऊनी, कागजी, फौलादी, लौह आदि।
  • समय- अगला, पिछला, बौद्धकालीन, प्रागैतिहासिक, नजदीकी आदि।
  • तापमान- ठंडा, गरम, कुनकुना आदि।
  • ध्वनि- मधुर, कर्कश आदि।
  • स्वाद- मीठा, कड़वा, नमकीन, तीखा, खट्टा, सुगंधित आदि।
  • दशा/अवस्था- दुबला, पतला, मोटा, भारी, पिघला, गाढ़ा, गीला, सूखा, घना, गरीब, उद्यमी, पालतू, रोगी, स्वस्थ, कमजोर, हल्का, बूढ़ा आदि।
  • स्थान- उजाड़, चौरस, भीतरी, बाहरी, उपरी, सतही, पूरबी, पछियाँ, दायाँ, बायाँ, स्थानीय, देशीय, क्षेत्रीय, असमी, पंजाबी, अमेरिकी, भारतीय, विदेशी, ग्रामीण आदि।

2. संख्यावाचक विशेषण की परिभाषा

वे विशेषण शब्द जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की संख्या का बोध कराते हैं, संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

दूसरे शब्दों में- वह विशेषण, जो अपने विशेष्यों की निश्चित या अनिश्चित संख्याओं का बोध कराए, ‘संख्यावाचक विशेषण’ कहलाता है।

जैसे-

पाँच घोड़े दौड़ते हैं।

सात विद्यार्थी पढ़ते हैं।

इन वाक्यों में ‘पाँच’ और ‘सात’ संख्यावाचक विशेषण हैं, क्योंकि इनसे ‘घोड़े’ और ‘विद्यार्थी’ की संख्या संबंधी विशेषता का ज्ञान होता है।

संख्यावाचक विशेषण के भेद

संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते है-

निश्चित संख्यावाचक विशेषण

अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण

निश्चित संख्यावाचक विशेषण: वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध कराते हैं, निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

सरल शब्दों में- जिससे किसी निश्र्चित संख्या का ज्ञान हो, वह निश्चित संख्यावाचक विशेषण है।

जैसे- एक, दो आठ, चौगुना, सातवाँ आदि।

उदाहरण-

  • मेरी कक्षा में चालीस छात्र हैं।
  • कमरे में एक पंखा घूम रहा है।
  • डाल पर दो चिड़ियाँ बैठी हैं।
  • प्रार्थना-सभा में सौ लोग उपस्थित थे।
  • इन सभी वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध हो रहा हैं। जैसे- कक्षा में कितने छात्र हैं?- चालीस, कमरे में कितने पंखे घूम रहे हैं?- एक, डाल पर कितनी चिड़ियाँ बैठी हैं?- दो तथा प्रार्थना-सभा में कितने लोग उपस्थित थे?- सौ।
  • अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण: वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध न कराते हों, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
  • दूसरे शब्दों में- जिस विशेषण से संख्या निश्चित रूप से नहीं जानी जा सके, वह अनिश्चित विशेषण है।
  • जैसे- कई, कुछ, सब, थोड़, सैकड़ों, अरबों आदि।
  • उदाहरण-
  • बम के भय से कुछ लोग बेहोश हो गए।
  • कक्षा में बहुत कम छात्र उपस्थित थे।
  • कुछ फल खाकर ही मेरी भूख मिट गई।
  • कुछ देर बाद हम चले जाएँगे।
  • इन सभी वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध नहीं हो रहा है? जैसे- कितने लोग बेहोश हो गए?- कुछ, कितने छात्र उपस्थित थे?- कम, कितने फल खाकर भूख मिट गई?- कुछ, कितनी देर बाद हम चले जाएँगे?- कुछ।

3.परिमाणवाचक विशेषण की परिभाषा

जिन विशेषण शब्दों से किसी वस्तु के माप-तौल संबंधी विशेषता का बोध होता है, वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।

दूसरे शब्दों में- वह विशेषण जो अपने विशेष्यों की निश्चित अथवा अनिश्चित मात्रा (परिमाण) का बोध कराए, परिमाणवाचक विशेषण कहलाता है। यह किसी वस्तु की नाप या तौल का बोध कराता है। इस विशेषण का एकमात्र विशेष्य द्रव्यवाचक संज्ञा है।

जैसे- ‘सेर’ भर दूध, ‘तोला’ भर सोना, ‘थोड़ा’ पानी, ‘कुछ’ पानी, ‘सब’ धन, ‘और’ घी लाओ, ‘दो’ लीटर दूध, ‘बहुत’ चीनी इत्यादि।

उदाहरण-

  • मुझे थोड़ा दूध चाहिए, बच्चे भूखे हैं।
  • बारात को खिलाने के लिए चार क्विंटल चावल चाहिए।
  • उपर्युक्त उदाहरणों में ‘थोड़ा’ अनिश्चित एवं ‘चार क्विंटल’ निश्चित मात्रा का बोधक है।
  • परिमाणवाचक विशेषण के भेद
  • परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते है-
  • निश्चित परिमाणवाचक
  • अनिश्चित परिमाणवाचक
  • निश्चित परिमाणवाचक: जो विशेषण शब्द किसी वस्तु की निश्चित मात्रा अथवा माप-तौल का बोध कराते हैं, वे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।
  • जैसे- ‘दो सेर’ घी, ‘दस हाथ’ जगह, ‘चार गज’ मलमल, ‘चार किलो’ चावल।
  • अनिश्चित परिमाणवाचक: जो विशेषण शब्द किसी वस्तु की निश्चित मात्रा अथवा माप-तौल का बोध नहीं कराते हैं, वे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।
  • जैसे- ‘सब’ धन, ‘कुछ’ दूध, ‘बहुत’ पानी।

4.संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण की परिभाषा

 जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की ओर संकेत करते है या जो शब्द सर्वनाम होते हुए भी किसी संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता को प्रकट करें, उन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते है।

दूसरे शब्दों में- ( मैं, तू, वह ) के सिवा अन्य सर्वनाम जब किसी संज्ञा के पहले आते हैं, तब वे ‘संकेतवाचक’ या ‘सार्वनामिक विशेषण’ कहलाते हैं।

सरल शब्दों में- वे सर्वनाम जो संज्ञा से पूर्व प्रयुक्त होकर उसकी ओर संकेत करते हुए विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, ‘संकेतवाचक विशेषण’ कहलाते हैं।

जैसे-

वह गाय दूध देती है।

यह पुस्तक मेरी है।

उक्त वाक्यों में ‘वह’ सर्वनाम ‘गाय’ संज्ञा से पहले आकर उसकी ओर संकेत कर रहा है। इसी प्रकार दूसरे वाक्य में ‘यह’ सर्वनाम ‘पुस्तक’ से पूर्व आकर उसकी ओर संकेत कर रहा है। ये दोनों सर्वनाम विशेषण की तरह प्रयुक्त हुए हैं, अतः इन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

ये लड़के, कोई स्त्री, कौन-सा फूल, वे कुर्सियाँ आदि में ये, कोई, कौन-सा, वे- सार्वनामिक विशेषण हैं।

सार्वनामिक विशेषण के भेद

व्युत्पत्ति के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के भी दो भेद है-

मौलिक सार्वनामिक विशेषण

यौगिक सार्वनामिक विशेषण

मौलिक सार्वनामिक विशेषण- जो बिना रूपान्तर के संज्ञा के पहले आता हैं।

जैसे- ‘यह’ घर; वह लड़का; ‘कोई’ नौकर इत्यादि।

यौगिक सार्वनामिक विशेषण- जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं।

जैसे- ‘ऐसा’ आदमी; ‘कैसा’ घर; ‘जैसा’ देश इत्यादि।

5.व्यक्तिवाचक विशेषण की परिभाषा

जिन विशेषण शब्दों की रचना व्यक्तिवाचक संज्ञा से होती है, उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहते है।

दूसरे शब्दों में- ऐसे शब्द जो असल में संज्ञा के भेद व्यक्तिवाचक संज्ञा से बने होते हैं एवं विशेषण शब्दों की रचना करते हैं, वे व्यक्तिवाचक विशेषण कहलाते हैं।

जैसे-

इलाहाबाद से इलाहाबादी

जयपुर से जयपुरी

बनारस से बनारसी

लखनऊ से लखनवी आदि।

  • उदाहरण- ‘इलाहाबादी’ अमरूद मीठे होते है।
  • व्यक्तिवाचक विशेषण के अन्य उदाहरण
  • मुझे भारतीय खाना बहुत पसंद है।
  • उत्तर:-ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं भारतीय शब्द असल में तो व्यक्तिवाचक संज्ञा से बना भारत शब्द लेकिन अब भारतीय शब्द विशेषण की रचना कर रहा है। इस वाक्य में यह शब्द खाने की विशेषता बता रहा है। अतः यह उदाहरण व्यक्तिवाचक विशेषण के अंतर्गत आयेंगे।
  • सभी साड़ियों में से मुझे बनारसी साडी सबसे ज्यादा पसंद है।
  • उत्तर:-जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि बनारसी शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द बनारस शब्द से बना है जो एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है लेकिन अब यह बनारसी बनने के बाद यह विशेषण कि तरह प्रयोग हो रहा है। अतः यह उदाहरण व्यक्तिवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
  • हमारी दूकान पर जयपुरी मिठाइयां मिलती हैं।
  • उत्तर:-ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आप देख सकते हैं जयपुरी शब्द का इस्तेमाल किया गया है। यह शब्द जयपुर शब्द से बना है जो कि एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
  • यह शब्द जयपुरी बनने के बाद विशेषण बन जाता हैं एवं अब इस वाक्य में मिठाइयों कि विशेषता बता रहा है। अतः यह उदाहरण व्यक्तिवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

6.संबंधवाचक विशेषण की परिभाषा

जब विशेषण शब्दों का प्रयोग करके किसी एक वस्तु या व्यक्ति का संबंध दूसरी वस्तु या व्यक्ति के साथ बताया जाए, तो वह संबंधवाचक विशेषण कहलाता है।

इस तरह के विशेषण क्रिया, क्रिया-विशेषण आदि से बनते हैं। जैसे: अंदरूनी यह शब्द अन्दर शब्द से बना है जो कि एक क्रिया विशेषण है। भीतरी : यह शब्द भीतर शब्द से बना है। जो की एक क्रियाविशेषण है।

संबंधवाचक विशेषण के उदाहरण

  • पेट हमारे शरीर का अंदरूनी हिस्सा है।
  • उत्तर:-ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं अंदरूनी शब्द का इस्तेमाल किया गया है। यह शब्द बाहरी शरीर का अंदरूनी शरीर का संबंध बता रहा है। यह एक क्रियाविशेषण शब्द से बना हुआ है। अतः यह शब्द संबंधवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
  • ज्वालामुखियों की भीतरी सतह ज्यादा गरम होती है।
  • उत्तर:-जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं भीतरी शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द हमें ज्वालामुखी की बाहरी एवं भीतरी सतह के सम्बन्ध के बारे में बता रहा है। यह शब्द भी एक क्रियाविशेषण शब्द से बना हुआ है। अतः यह उदाहरण संबंधवाचक विशेषण के अंतर्गत आयेगा।
  • उसके सिर के अंदरूनी हिस्से में चोट लगी है।
  • उत्तर:-ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं की यहां अंदरूनी शब्द का प्रयोग किया गया है। अंदरूनी शब्द के प्रयोग से हमें सर के बाहरी एवं अंदरूनी हिस्से के बीच के सम्बन्ध के बारे में पता चल रहा है। जैसा की हम देख सकते हैं की यह शब्द एक क्रियाविशेषण से बना हुआ है। अतः यह उदाहरण सम्बन्धवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
  • यमन का भीतरी इलाका एकदम उजाड़ है।
  • उत्तर:-जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहां भीतरी शब्द का प्रयोग किया गया है। भीतरी शब्द के प्रयोग से हमें यमन के भीतरी एवं बाहरी इलाके के बारे में सम्बन्ध पता चल रहा है। इससे हमें पता चलता है की बाहरी इलाके के सन्दर्भ में भीतरी इलाका ज़्यादा उजाड़ है। जैसा की हम देख सकते हैं की यह शब्द एक क्रियाविशेषण से बना हुआ है। अतः यह उदाहरण सम्बन्धवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।

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7.प्रश्नवाचक विशेषण की परिभाषा

ऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम में किसी वस्तु या व्यक्ति के जानने के लिए प्रयोग होता है,वो प्रश्न वाचक विशेषण कहलाते हैं।

इन विशेषण शब्दों का प्रयोग करके हमें संज्ञा या सर्वनाम के बारे में ज्यादा जानकारी मिल जाती है। जैसे: यह व्यक्ति कौन है?, यह चीज़ क्या है? आदि।

प्रश्नवाचक विशेषण के उदाहरण

  • तुम कौन सी वस्तु के बारे में बात कर रहे हो
  • उत्तर :-ऊपर उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कौन शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इस शब्द का प्रयोग करके संज्ञा के बारे में अधिक जानकारी लेने का प्रयास किया जा रहा है। हम जानते हैं की जब किसी शब्द का प्रयोग करके संज्ञा के बारे  में अधिक जानकारी लेने की कोशिश की जाती है, तब वहाँ प्रश्नवाचक विशेषण होता है।
  • यह जहाज क्या होता है?
  • उत्तर :-जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि क्या शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस शब्द का प्रयोग करके किसी वस्तु के बारे में जानने की कोशिश की जा रही है। हम जानते हैं की जब किसी शब्द का प्रयोग करके संज्ञा के बारे  में अधिक जानकारी लेने की कोशिश की जाती है, तब वहाँ प्रश्नवाचक विशेषण होता है।
  • मेरे जाने के बाद कौन यहाँ आया था?
  • उत्तर :-ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कौन शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस शब्द का प्रयोग करके पीछे से आने वाले व्यक्तियों के बारे में यानी व्यक्तिवाचक संज्ञा की जानकारी लेने की कोशिश की जा रही है।

8.तुलना बोधक विशेषण की परिभाषा

जैसा कि हम सभी जानते हैं विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। लेकिन कई बार दो वस्तुओ के गुण दोष आदि की तुलना कि जाती है।

जिन शब्दों से दो वस्तुओं की परस्पर तुलना की जाती है वे शब्द तुलनाबोधक विशेषण कहलाते हैं। जैसे: राम सुरेश से ज्यादा सुन्दर है। यहाँ दो व्यक्तियों की विशेषताओं की तुलना की जा रही है।

तुलनाबोधक विशेषण की अवस्थाएं

तुलनाबोधक विशेषण की तीन अवस्थाएं होती हैं:

  • मूलावस्था
  • उत्तरावस्था
  • उत्तमावस्था

मूलावस्था: जब किसी एक ही व्यक्ति या वस्तु विशेषता जैसे गुण, दोष शर्म स्वभाव बताने के लिए विशेषण का प्रयोग किया जाता है, तब उसे मूलावस्था कहते हैं।

यहाँ किन्हीं दो वस्तु या व्यक्ति आदि की तुलना नहीं की जाती है। जैसे: अच्छा, बुरा, वीर, बहादुर, निडर, डरपोक आदि।

उदाहरण:

  • मैं बड़ा होकर वीर सिपाही बनना चाहता हूँ।
  • ज़िन्दगी में एक शेर की भांति निडर होना चाहिए।
  • उत्तर:-ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं कि विशेषण शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन विशेषण शब्दों का प्रयोग करके दो वस्तु, व्यक्ति आदि की तुलना नहीं की जा रही है। अतः तुलनाबोधक विशेषण की मूलावस्था कहलाएगी।

उत्तरावस्था: जब किन्हीं वस्तुओं या व्यक्तियों की आपस में गुण, दोष आदि पर आधारित तुलना की जाती है एवं उनमे से एक को श्रेष्ठ माना जाता है, तब यह उत्तरावस्था कहलाती है। जैसे: ज्यादा सुन्दर, अधिक बुद्धिमान, ज्यादा तेज़ आदि।

उदाहरण:

  • मैं तुमसे ज्यादा दयालु हूँ।
  • रीना मीना से अधिक बुद्धिमान है।
  • उत्तर:-जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरणों में देखा ज्यादा दयालु,आदि शब्दों का प्रयोग करके दो वस्तुओं के गुण दोष आदि की तुलना की जा रही है एवं एक को श्रेष्ठ माना जाता है। अतः यह उत्तरावस्था कहलाएगी।

उत्तमावस्था: जब दो से ज्यादा वस्तुओं या व्यक्तियों की तुलना की जाती है एवं उनमे से किसी एक को ही सर्वश्रेठ बताया जाता है, तो उसे उत्तमावस्था कहा जाता है। जैसे: विशालतम, सबसे सुन्दर आदि।

उदाहरण:

  • सभी महासागरों में प्रशांत महासागर विशालतम है।
  • इन सब में से तुम सबसे सुन्दर हो।
  • हल्क सबसे ज्यादा बलवान है।
  • उत्तर:-ऊपर दिए गए उदाहरणों में आप देख सकते हैं विशालतम, सबसे सुन्दर आदि शब्द प्रयोग किये गए हैं। इन शब्द से हमें कोई एक वस्तु या व्यक्ति के सर्वश्रेष्ठ होने का पता चल रहा है। अतः यह उत्तमावस्था कहलाएगी।

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तो यहां पर हम हमारी विशेषण की परिभाषा – विशेषण के भेद, उदाहरण पोस्ट को समाप्त करते हैं आशा करते हैं आपको विशेषण की परिभाषा, विशेषण के भेद बताएंगे और visheshan kise kahate hain के बारे में अधिकतम जानकारी आप तक पहुंचा हुआ है अगर आपको हिंदी ग्रामर संबंधित और भी किसी प्रकार की जानकारी चाहिए तो आप हमें कमेंट में बता सकते हैं.

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