गेहूँ और गुलाब किसकी रचना हैं | Gehun Aur Gulab Kiski Rachna Hai: क्या दोस्तो आप इंटरनेट पर ढूंढ रहे हो गेहूँ और गुलाब की रचना किसने की है तो आप सही जगह पर आये हो क्यूकी इस पोस्ट में हम आपके साथ के बारे में जानकारी गेहूँ और गुलाब किसकी रचना हैं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देगे. तो चलिए शुरू करते है Gehun Aur Gulab Kiski Rachna Hai…
दोस्तों भारत को हिंदी साहित्य का बोहत पुराना इतिहास है और भारत में हिंदी सहित का बहुत ही अच्छा संग्रह है इसे के साथ-साथ हिंदी साहित्य में ऐसे साहित्यकार हो चुके हैं जिन्होंने अपने जीवन में हिंदी साहित्य को बोहत ऊंचाई पर लाकर खड़ा कर दिया है वह अपने साहित्य से लोगों को प्रेरित करते थे और अपने भारतीय संस्कृति के बारे में रूबरू कराते थे.
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गेहूँ और गुलाब किसकी रचना हैं | Gehun Aur Gulab Kiski Rachna Hai
तो चलिए जानते है उस प्रश्न का उत्तर जिसके के लिए आप इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं कि गेहूं और गुलाब किसकी रचना है. तो आपको बता दू की गेहूँ और गुलाब रामवृक्ष बेनीपुरी जी की रचना हैं.
रामवृक्ष बेनीपुरी जीवन परिचय
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म २३ दिसंबर १८९९ को हुआ था. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर गांव से एक ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म हुआ था. उनका नाम इसी कारण “बेनीपुरी” रखा गया था ऐसा कहा जाता है. बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत होने के कारण थे उनका जीवन हालत में गुजरा. उनकी प्राथमिक शिक्षा ननिहाल में हुई जहां पर उन्होंने एक छोटे से स्कूल से अपनी पढ़ाई की शुरुआत की शिक्षा के साथ साथ उनको भाषा और वाणी में अच्छी महारत हासिल हुई. उसके बाद उन्होंने अपने संपादक की पढ़ाई पूरी की और उन्होंने उस में ही अपना जीवन संपादक के लिए अर्पण किया इसलिए उन्हें आज भी एक सफल संपादक के रूप में याद किया जाता है इसके साथ वह एक सच्चे देशभक्त भी कहलाते हैं. उनकी लेखनी और संपादिकता से लोग बहुत ही प्रेरित होते थे इसलिए उनको अंग्रेजो के द्वारा ज्यादातर जेल में डाला जाता था. येसा कहा जाता है की उन्होंने अपने जीवन के करीब 8 साल जेल में बिताये है.

वह भारत के महान विचारक, चिंतन करने वाले क्रांतिकारी हिंदी साहित्यकार थे और इसीके साथ-साथ आग्रही पत्रकार और संपादक थे हिंदी साहित्य के. अपने गद्य-लेखक, शैलीकार, समाज-सेवी, , स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और हिंदी प्रेमी के रूप में अपनी अलग ही छाप छोड़ दी थी.
रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाएँ
एक सच्चे देशभक्त कहलाते हैं क्योंकि उनके जीवन में उन्होंने सारांश सिर्फ राष्ट्रीय भावना के संबंधित अपना जीवन अर्पण करने का सोचा वह कभी भी चुप नहीं बैठे उनकी लेखनी और लेखों के कार्य के कारण उनको बोहत बार कारावास में जाना पड़ा. लेकिन वह पर भी उन्होंने अपनी क्रांतिकारी रचनाओं को कभी भी बंद नहीं. अगस्त में हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कारण उनको 8 वर्ष हजारीबाग जेल में बिताने पड़े. वह जेल में रहकर भी उन्होंने बहुत सारे ग्रंथों की पाण्डुलिपियाँ की रचना की थी वह जब भी जल जाते हैं तो आते समय हाथ में दो चार ग्रंथों की पाण्डुलिपियाँ की रचनाओं अवश्य रहती थी.
नाटक
- अम्बपाली -1941-46
- सीता की माँ -1948-50
- संघमित्रा -1948-50
- अमर ज्योति -1951
- तथागत
- सिंहल विजय
- शकुन्तला
- रामराज्य
- नेत्रदान -1948-50
- गाँव के देवता
- नया समाज
- विजेता -1953.
- बैजू मामा, नेशनल बुक ट्र्स्ट, 1994
- शमशान में अकेली अन्धी लड़की के हाथ में अगरबत्ती – 2012
सम्पादन एवं आलोचन
- विद्यापति की पदावली
- बिहारी सतसई की सुबोध टीका
संस्मरण तथा निबन्ध
- पतितों के देश में -1930-33
- चिता के फूल -1930-3
- लाल तारा -1937-39
- कैदी की पत्नी -1940
- माटी -1941-45
- गेहूँ और गुलाब – 1948–50
- जंजीरें और दीवारें
- उड़ते चलो, उड़ते चलो
- मील के पत्थर
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समाप्त
तो यहां पर हम हमारे इस गेहूँ और गुलाब किसकी रचना हैं | Gehun Aur Gulab Kiski Rachna Hai पोस्ट को समझते थे आशा करते हैं कि आपको गेहूं और गुलाब के रचनाकार कौन है? के बारे में संपूर्ण जानकारी बता पाए.
इस पोस्ट को बनाने का हमारा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि आप तक सही जानकारी पहुंचा पाए और आप अधिकतम और अच्छी से अच्छी जानकारी आपके साथ शेयर करते हैं. आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताना और अगर आपको किसी चीज संबंधित जानकारी चाहिए तो आप हमें कमेंट में बता सकते हम आपके लिए पोस्ट जरूर बनाएंगे.
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